शब्दों की सिसकी by Sidas Kumar

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यह पुस्तक उनके लिए है जो महसूस करते हैं। जो सहते हैं, जो हंसते हैं और जो दुनिया से छुपकर खुद से लड़ते हैं। यह पुस्तक उन सबके लिए भी है जो दुनिया को और बेहतर करना चाहते हैं। क्या आपको कभी लगा है कि शब्द भी रोते हैं? अगर हाँ, तो यह किताब आपके…

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शब्दों की सिसकी page 0132 - Your Books

शब्दों की सिसकी – एक काव्य संग्रह, जो समाज की अनकही सच्चाइयों, टूटते सपनों और इंसानी जज़्बातों को शब्दों में ढालता है। यह सिर्फ़ कविताओं का संग्रह नहीं, बल्कि समय की गूंज, व्यवस्था की चीख़ और आम आदमी की बेबस ख़ामोशी का दस्तावेज़ है।

इस किताब में आपको वो कहानियाँ मिलेंगी, जो अख़बारों में नहीं छपतीं, वो दर्द, जिनका कोई आँकड़ा नहीं होता, और वो सवाल, जिनका जवाब अक्सर इतिहास भी नहीं दे पाता। महँगाई, बेरोज़गारी, सरकारी सिस्टम, सामाजिक भेदभाव, राजनीति, विकास और आम नागरिक के संघर्ष—हर विषय पर ये कविताएँ गहरी चोट करती हैं।

सिर्फ़ पढ़ने के लिए नहीं, बल्कि महसूस करने के लिए है। यह आपको सोचने पर मजबूर करेगी और शायद आपके दिल में कुछ सवाल छोड़ जाएगी।

हर पंक्ति में छुपी एक सिसकी है—कभी प्रेम की, कभी विरह की, कभी उम्मीद की, कभी सामाजिक चेतना की, तो कभी जीवन के गहरे दर्शन की। शब्दों की सिसकी सिर्फ एक किताब नहीं, बल्कि एहसासों की गूंज है, जो हर पाठक के दिल को छू जाएगी।

क्या आपको कभी लगा है कि शब्द भी रोते हैं?
अगर हाँ, तो यह किताब आपके लिए ही है।

दर्द को सिर्फ महसूस किया जा सकता है, उसे पूरी तरह शब्दों में बाँध पाना नामुमकिन है। पर मैंने फिर भी इसे शब्दों में ढालने की कोशिश की है।

जब भी मैंने किसी को पीड़ा में देखा, उसकी आँखों में अनकही कहानियाँ पढ़ीं, उसकी खामोशी में छुपे दर्द को महसूस किया—मैंने जाना कि भावनाओं को अभिव्यक्त करना कितना आवश्यक है। यह पुस्तक उन्हीं क्षणों से जन्मी है, जहाँ मैंने दूसरों के दुख में अपना दुख, और उनकी तकलीफ़ में अपनी आवाज़ सुनी, एक अदृश्य पुकार सुनी।

मैं उन चीखों को शब्द देना चाहता था, जो बाहर नहीं आ सकीं। उन दर्द भरी कहानियों को आवाज़ देना चाहता था, जो चुपचाप दबी रह गईं। मेरी कविताएँ केवल शब्द नहीं हैं; यह मेरी संवेदनाएँ, मेरी चिंताएँ, और मेरे भीतर उमड़ता दर्द भी हैं। यदि ये पंक्तियाँ आपके हृदय को छू सकें, उसे अपनी भावनाओं को समझने का एक जरिया दे सकें, तो मेरा लेखन सार्थक हो जाएगा।

यह सिर्फ कविताओं का संग्रह नहीं, यह उन अनकही भावनाओं की प्रतिध्वनि है, जो हम सबने कभी न कभी महसूस की हैं।

1 review for शब्दों की सिसकी by Sidas Kumar

  1. sanat dwivedi

    ये एक अद्भुत कृति है. आपने जिस तरह से शब्दों को अपनी भावनाओं में पिरोया है, ये अपने आप में एक महान कार्य है। आप निश्चय ही लेखन जगत में नई ऊंचाइयों को स्पर्श करेंगे। आपके उज्जवल भविष्य की शुभ कामना के साथ आपको प्रोत्साहन स्वरूप मैं कुछ भेट करना चाहता हूं। कृपया तुच्छ भेट को ग्रहण करके हमें कृतार्थ करे।

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